आज दिनाङ्क 11 जुलाई को श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार में दीक्षारम्भ- कार्यक्रम के अन्तर्गत, व्याकरण शास्त्र विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के संयोजक व्याकरण विभाग के प्राध्यापक डाॅ.दीपक कुमार कोठारी ने बताया कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयनई दिल्ली के निर्देशानुसार श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार में, दिनाङ्क- 11 जुलाई से दिनाङ्क 15 जुलाई तक दीक्षारम्भ कार्यक्रम चल रहा है। जिसका आज ग्यारहवाँ दिवस है। आज कार्यक्रम के ग्यारहवें दिवस पर; छात्रों को व्याकरण शास्त्र विषयक ज्ञान प्रदान करने हेतु, महाविद्यालय के ही व्याकरण विभागाध्यक्ष डाॅ.रवीन्द्र कुमार के विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। छात्रों को अपना विशिष्ट व्याख्यान प्रदान करते हुए बताया कि व्याकरण शास्त्र में विद्या की प्राप्ति के चार सोपान बताये गये हैं। जिनमें पहला है-आगमकाल, दूसरा है-स्वाध्याय काल तीसरा है-प्रवचनकाल एवं चौथा है-व्यवहारकाल। इन चारों सोपानों का भी आधारभूत काल आगमकाल है। क्यूंकि कोई भी विद्यार्थी गुरुजनों के पास जाकर, इसी समय विद्या को ग्रहण करता है।प्रथम काल आगमकाल में विद्या को प्राप्त कर लेने पर के पश्चात् वह द्वितीय स्वाध्याय काल में उस प्राप्त की हुई विद्या को आत्मसात् करता है। जब वह उस विद्या को हृदयंगम कर लेता है तब तृतीय प्रवचनकाल में उस प्राप्त विद्या का समाज में प्रचार प्रसार करता है एवं स्वयं भी उस विद्या को अपने व्यवहार में लाता है। इस प्रकार इन चारों ही सोपानों से गुजरने के बाद, कोई भी विद्यार्थी विद्वान् की श्रेणी में आ पाता है।उन्होंने यह भी बताया कि व्याकरण के अध्ययन का प्रमुख प्रयोजन, वेदों की रक्षा करना है। अतः आप सभी को वेदों की रक्षा हेतु, व्याकरण का अध्ययन अवश्य ही करना चाहिये। वेद के छः अङ्ग माने गये हैं, उनमें भी व्याकरण को ही प्रमुखता प्राप्त है।इस अवसर पर साहित्य विभागाध्यक्ष डाॅ.निरञ्जन मिश्र,वेदान्त विभाग के प्राध्यापक डाॅ.आलोक सेमवाल व श्री आदित्य सुतारा,योग विषय के प्राध्यापक श्री मनोज गिरि एवं श्री अतुल मैखुरी,संस्कृत शिक्षक डाॅ.प्रमेश बिजल्वाण,साहित्य विभाग के प्राध्यापक डाॅ.अंकुर आर्य ,व्याकरण विभाग के प्राध्यापक श्री शिवदेव आर्य,साहित्य विभाग के प्राध्यापक श्री ज्ञानसिन्धु आदि सहित नव प्रविष्ट छात्र समुपस्थित रहे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डाॅ.व्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव के द्वारा भी छात्रों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया गया।