हरिद्वार। आज श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के सहयोग से उत्तराखण्ड राज्य की शास्त्रीय स्पर्धाओं का उद्घाटन हुआ। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय फरवरी मास में अयोध्या में अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा का आयोजन करने जा रहा है। जो छात्र राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करेंगे, वे ही अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा में उत्तराखण्ड राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए जूनापीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी ने कहा कि प्रतिस्पर्धाओं के माध्यम से ही संस्कृत के शास्त्रों की रक्षा सम्भव है। प्रतिस्पर्धा से ही व्यक्ति का जीवन पूर्णता की ओर जाता है। उन्होंने आह्वान किया कि संस्कृत के शास्त्रों के संरक्षण के लिये जूना अखाडा सदैव तत्पर है क्योंकि संस्कृत भाषा के बिना भारत का गौरव सम्भव नहीं है। मुख्यातिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी ने कहा कि प्रतिस्पर्धाएँ छात्र को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करती हैं। प्रत्येक प्रतिस्पर्धी के लिये यह स्वर्णिम अवसर है कि वह अयोध्या जाने के लिये अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करें। सारस्वतातिथि प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि यदि ऋषियों मुनियों के प्राचीन-ज्ञान की सुरक्षा करनी है तो इस प्रकार की प्रतिस्पर्धाओं का होना आवश्यक है। प्रतिस्पर्धों के कारण ही छात्र शास्त्रों का गम्भीर अध्ययन करता है।
प्रतिस्पर्धाओं हेतु पतञ्जलि गुरुकुलम्, देवप्रयाग, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, रघुनाथकीर्ति परिसर, देवप्रयाग, श्रीमद्दयानन्द आर्षज्योतिर्मठ गुरुकुल पौन्धा, देहरादून, विद्याधर जुयाल संस्कृत विद्यालय भुवनेश्वरी, गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर, वैदिक गुरुकुल पतञ्जलि हरिद्वार आदि संस्थाओं से अनेक छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. बी.के.सिंहदेव ने सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया तथा डॉ. आशिमा श्रवण ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. रवीन्द्र कुमार ने किया। कार्यक्रम में डॉ. निरञ्जन मिश्र, डॉ. आलोक सेमवाल, डॉ. भोला झा, डॉ. दीपक कोठारी, डॉ. प्रमेश बिजल्वाण। डॉ. मञ्जु पटेल, श्री मनोज गिरि, डॉ. शिवकुमार आदि गणमान्य उपस्थित थे।