हरिद्वार । श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के आर्थिक अनुदान से नई शिक्षा नीति द्वारा भारतीयसंस्कृति और भारतीय भाषाओं का विकास विषय पर राष्ट्रिय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक एवं विचारकों ने अपने विचार प्रस्तुत कर नई शिक्षा नीति को एक क्रान्तिकारी कदम बताया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के निदेशक प्रो. चान्द किरण सलूजा ने कहा कि नई राष्ट्रिय शिक्षा नीति पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित शिक्षा नीति के प्रभाव से देश को बाहर निकालेगी। नई शिक्षा नीति संस्कृत एवं भारतीय भाषाओं के विकास के लिए वरदान है। भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन नई शिक्षा नई शिक्षा नीति संस्कृत एवं भारतीय भाषाओं के से ही सम्भव है। प्रो. श्रवण कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति के द्वारा ही भारत विश्व गुरु बन सकता है। भारतीय ज्ञान परम्परा की वैज्ञानिकता महाभारत, रामायण व गीता आदि में स्पष्ट देखी जाती है। डॉ. शैलेश कुमार तिवारी ने कहा कि आज भी ग्रामीण अशिक्षित व्यक्ति लक्षण देखकर वर्षा आदि की सटीक भविष्यवाणी कर देता है। लोक में प्रचलित प्रत्येक किंवदन्तियों में एक विशेष रहस्य है। जिसकी सार्थकता का अन्वेषण करना चाहिए। यह अनुसन्धान नई शिक्षा नीति के द्वारा ही सम्भव है।
विशिष्टि अतिथि गुरुकुल कॉगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि वराहमिहिर द्वारा लिखी युक्तियों का मैंनें स्वयं प्रयोग किया है। उन्होंने वृहत्संहिता आदि में जो लिखा है, वह आज भी पूर्ण वैज्ञानिक एवं अक्षरशः सत्य है। इन ग्रन्थों में लिये रहस्यों का प्रचार-प्रसार नई शिक्षा नीति से ही सम्भव है।
उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि भारतीय शिक्षा नीति का सम्पूर्ण ड्र।फ्ट भारतीय ज्ञान परम्परा के विकास एवं संवर्धन के लिए समर्पित है। लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति के प्रभाव के कारण भारतीय लोग अपनी संस्कृति एवं भाषा को भूलते जा रहे थे। नई शिक्षा नीति लागू हो जाने से भारत की लुप्त भाषाओं का भी विकास होगा। प्रभारी प्राचार्य डा. व्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव ने महाविद्यालय परिवार की ओर से सभी उपस्थित विद्वानों का अभिनन्दन एवं धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. रवीन्द्र कुमार व डॉ. आशिमा श्रवण ने किया।
इस अवसर पर डॉ. भोला झा, प्रो. मीनू कश्यप, डॉ. ॠचॎ जोशी, डा. राजेश अधाना, डॉ. मुकेश कुमार गुप्ता, डॉ. राधेश्याम चतुर्वेदी, डॉ. वाजश्रवा आर्य, प्रो. विवेक गुप्ता, संस्कृत भारती के प्रान्त अध्यक्ष श्री गौरव कुमार शर्मा, डॉ. प्रकाश चन्द्र, डॉ. राजेन्द्र गौनियाल, डॉ. दामोदर परगाईं, डॉ. कमलेश कुमार, डॉ. दीपक कुमार कोठारी, डॉ. मंजू पटेल, डॉ. निरंजन मिश्र, डॉ. पल्लवी राणा, श्री विवेक शुक्ला, डॉ. आलोक सेमवाल, डॉ. प्रमेश विजल्वाण आदि उपस्थित रहे।