मुख्यमंत्री ने पद्मश्री डॉ. बी. के.एस संजय के काव्य संग्रह उपहार संदेश का विमोचन किया

Shivdev Arya

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में पद्मश्री डॉ. बी. के.एस संजय के काव्य संग्रह उपहार संदेश का विमोचन किया। यह काव्य संकलन भारतीय ज्ञानपीठ के द्वारा प्रकाशित किया गया है। इसकी भाषा की सरलता पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती है और वास्तविकता के बीच प्रकृति, प्रेम, संबंध, विज्ञान और मातृत्व से हमारा परिचय कराती है।

डॉ. संजय के द्वारा कविता के रूप में ”उपहार संदेश” का जो संकलन प्रकाशित हुआ उसके बारे में उन्होंने बताया, कि इस संग्रह की सभी कविताओं के पीछे एक कहानी है और आगे एक संदेश है। कविता के माध्यम से जो संदेश पद्मश्री डॉ. संजय ने समाज के लिए दिया वह समाज के लिए एक अनोखा उपहार है। इन कविताओं में विशेषता यह है कि कवि कहीं शिक्षक, कहीं मनोवैज्ञानिक और कहीं समाजशास्त्री तो कहीं आध्यात्मिक पुरूष दिखायी देता है।

सच्चे मायने में यह कविताएं जीवन दर्शन की कविताएं है और लगता है कि कवि के मन में समाज में बदलाव लाने की अत्यंत तीव्र इच्छा है। कवि का मानना है समाज में बदलाव लाने के लिए विचारों में बदलाव, आपसी सहयोग एवं संवाद ही किसी भी बदलाव के मूलमंत्र हैं। डॉ. संजय ने अपनी कविता “सपने हमारे और आपके“ के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद एवं शुभकामानाएं दी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री महोदय ने डॉ. संजय के प्रथम काव्य संकलन के लिए बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं दी।
इस कार्यक्रम में डॉ. संजय के अलावा वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा ’अरुण’, शायर एवं उद्योगपति डॉ. एस. फारूख, साहित्यकार डॉ. मुनिराम सकलानी श्मुनिन्द्रश्, कवि श्रीकांत शर्मा श्री, साहित्यकार डॉ. सत्यानन्द बडोनी, भावना संजय, डॉ. प्रतीक संजय, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता संजय, ऑर्थाेपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव संजय एवं सोनिया रावत मौजूद रहे। डॉ. बी. के. एस. संजय बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं। जो चिकित्सीय कार्य एवं समाज सेवा कार्यों के लिए जाने जाते हैं।

डॉ. संजय न केवल अच्छे सर्जन एवं समाज सेवक हैं बल्कि वह उच्च कोटि के लेखक, वक्ता एवं कॉलमनिस्ट हैं। डॉ. संजय का कविता के बारे में रूचि और काव्य संग्रह का संकलन एक सर्जन के लिए अनोखा काम है। डॉ. संजय अपने हाथों से सर्जरी के क्षेत्र में ही सर्जन का काम ही नहीं करते बल्कि वह शब्दों का भी अच्छे ढ़ंग से सृजन करते हैं जिसको उनके काव्य संग्रह में अच्छे ढ़ंग से दर्शाया गया हैै।

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