हरिद्वार । हेलन एडम्स केलर की 143वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय द्वारा द्विदिवसीय आभासीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। जिसका विषय विकलाङ् विमर्श/स्त्री विमर्श, समावेशी विकास एवं चुनौतियाँ निर्धारित किया गया है। संगोष्ठी का उद्देश्य समाज में विकलाङ्गों के प्रति साम्य भाव पैंदा करना एवं समाज में समावेशी विकास की वास्तविकता को उजागर करना है। ब्रेल लिपि (जिसका आविष्कार लुई ब्रेल) ने किया था के आविष्कार से पूर्व दृष्टिबाधितों की स्थिति सम्पूर्ण विश्व में अत्यन्त शोचनीय थी परन्तु ऐसे समय में भी सूरदास जैसे ख्यातनाम कवि विकलाङ्ग जगत में उभरकर सामने आये।स्वामी विरजानन्द की भी अनदेखी नहीं की जा सकती,जिन्होंने स्वामी दयानन्द के गुरु की भूमिका अदा की।जिनके नाम से आज भी विकासपुरी दिल्ली में विरजानन्द अन्ध कन्या विद्यालय चलाया जा रहा है। धृतराष्ट्र को भी हम नहीं भुला सकते जिन्हें शस्त्र एवं शास्त्र दोनों ही विद्याओं में पारंगत बनाया गया था। परन्तु आज तकनीकी विकास के इस दौर में भी सामान्य व्यक्ति विकलाङ्गों के साथ स्वयं का समावेश करने से कतराता है। इसके उदाहरण कदम-कदम पर विकलाङ्गों के सामने आते रहते हैं। सुगम्य भारत योजना को भी इस सन्दर्भ में रखा जा सकता है। जिसमें भारत सरकार द्वारा सख्त निर्देश दिये गये हैं कि वाहनों को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाये कि दृष्टिबाधितों को सड़क या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर समस्या का सामना न करना पड़े।
स्त्री प्रकृति है अंकुर का अधिकार उसे ईश्वर प्रदत्त है। उसके इसी वैशिष्ट्य को उसकी कमजोरी के रूप मे आँककर समाज उसे घर की चारदीवारी में सीमित रखना चाहता है यहां तक कि पुस्तैनी सम्पत्ति में भी उसे अब तक बराबर का अधिकार नहीं मिल पाया है जबकि समाज के बहुशः क्षेत्रों में स्त्रियाँ न केवल समान रूप से भागीदारी ही कर रहीं है वरन् चांद अन्तरिक्ष आदि स्थानों पर भी अपना वर्चस्व स्थापित कर रहीं हैं। इन्हीं विषयों को दृष्टि में रखकर संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों के ख्यात विद्वान् अपने विचार व्यक्त करेंगे। राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम के निदेशक प्रभारी प्राचार्य डा. व्रजेंद्र कुमार सिंहदेव का कहना यह है कि हिंदी साहित्य के विविध काव्य, उपन्यास एवं कहानियों में वर्णित विकलांग विमर्श तथा स्त्री विमर्श को आधृत करते हुए गणमान्य विद्वानों के व्याख्यानों से छात्रों को लाभान्वित होने के साथ साथ समाज को एक नई दिशा प्राप्त होगी। कार्यक्रम की संयोजिका आधुनिक विषय विभाग (हिन्दी) की सहायकाचार्या डा. मञ्जू पटेल एवं सहसंयोजक व्याकरण विभाग के पू.अं.सहायकाचार्य डा. दीपक कोठारी हैं।