देहरादून। कुसुम कांता फाउंडेशन के द्वितीय स्थापना वर्ष के अवसर पर हिमालीय विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पद्मश्री माधुरी बर्थवाल ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और संगीत की परंपरा की जड़ें अत्यधिक मजबूत हैं। उन्होंने अनेक उद्धरणों की प्रस्तुति देते हुए उत्तराखंड के लोक संस्कृति के महत्व को देश के विभिन्न राज्यों की परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि यहां की संस्कृति ने पूरे देश के लिए जननी का कार्य किया है। फाउंडेशन के कार्यों की प्रशंशा करते हुए माधुरी ने महिलाओं के सशक्तिकरण तथा साहित्य संगीत में निरंतर फाउंडेशन के उलीखनीय कार्यों में सभी को सहभाग करने का आवाहन किया।
माधुरी ने अपने गायन की झलकियों से पूरे प्रसाल को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम की विशिष्ठ अतिथि उत्तराखंड की शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने फाउंडेशन द्वारा शिक्षा तथा बालिकाओं के लिए निरंतर किए जा रहे प्रयास के लिए फाउंडेशन की संस्थापक विदुषी निशंक को बधाई दी। कार्यक्रम में पूर्व उच्च शिक्षा निदेश्क डा सविता मोहन ने फाउंडेशन के कार्यों और उद्देश्यों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। फाउंडेशन की प्रमुख सदस्य शिवानी गुप्ता ने आगामी कार्य योजना की जानकारी से अवगत कराया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमालीयीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जे पी पचौरी ने गाय फाउंडेशन के उद्देश्यों की पूर्ति में विश्वविद्यालय स्तर से भरपूर सहयोग की बात करते हुए युवा पीढ़ी को समाज में जुड़ने हेतु प्रेरित करते हुए इसे जीवन और प्रगति का अंग बनाए जाने पर जोर दिया। फाउंडेशन की संस्थापक विदुषी निशंक ने सभी आगंतुकों, प्रतिभागियों,मेधावी छात्रों सहित उद्यमी महिलाओं का आभार व्यक्त किया। विदुषी ने भविष्य में किए जाने वाले दृष्टिकोण से भी अवगत कराते हुए सामुदायिक सहभागिता में योगदान देने पर मिलने वाली संतुष्टि को जीवन सफलता का मूल बताया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के चांसलर डॉक्टर प्रदीप भरद्वाज, प्रति कुलपति डॉक्टर राजेश नैथानी, प्रोफेसर प्रभाकर बडोनी, बालकृष्ण चमोली, पूजा पोखरियाल सहित विश्वविद्यालय के प्राध्यापक तथा अधिकारियों सहित छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में औषधि पादपों से युक्त कुसुम कांता वाटिका का भी लोकार्पण मुख्य अतिथि पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल तथा अन्य अतिथियों द्वारा किया गया।