यह विचार आज पंजाब प्रान्तीय संस्कृत संभाषण शिविर समापन समारोह के अवसर पर शिविर के अध्यक्ष एवं गुरुकुल करतारपुर के प्राचार्य डॉ उदयन आर्य ने कहे । उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा का यदि पोषण और संरक्षण करना चाहते हैं तो संस्कृत का पठन-पाठन पंजाब सरकार को अनिवार्य करना होगा क्योंकि संस्कृत ही पंजाबी भाषा की पोषक है। इस अवसर पर शिविर संयोजक नरेश कुमार आर्य ने शिविर का विवरण देते हुए कहा कि यह शिविर 7 जून को प्रारंभ हुआ था जिसका आज हम विधिवत् सफलतापूर्वक समापन कर रहे हैं, इस शिविर में पूरे पंजाब प्रांत से 5 जिलों के 40 शिविरार्थियों ने भाग ग्रहण किया, जिसमें 9 बालिकाएं भी थी। शिविर की सम्पूर्ण दिनचर्या संस्कृत भाषा में रही, जिसके परिणामस्वरूप आज सभी शिविरार्थी संस्कृत को समझ रहे हैं और बोलने का प्रयत्न कर रहे हैं । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में गुरुकुल करतारपुर के वरिष्ठ उपप्रधान एवं समाजसेवी श्री कुंदनलाल अग्रवाल जी ने शिविरार्थियों को प्रेरणा देते हुए कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है और यदि हम भारत को समझना व जानना चाहते हैं तो संस्कृत को समझना आवश्यक है इस शिविर हेतु शैक्षणिक सहयोग आर्य युवा विचार मंच, गुरुकुल करतारपुर ने किया।
संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन आर्य युवा विचार मंच के छात्र अंशुल चौधरी ने किया । इस अवसर पर एक शिविरार्थी ने अपना अनुभव बताते हुए बताया कि संस्कृत शिविर के माध्यम से मैंने संस्कृत भाषा को समझने व बोलने का प्रयत्न किया, एक अन्य शिविरार्थी ने अपने अनुभवकथन के रूप में कहा कि मुझे शिविर में संस्कृत भाषा के साथ-साथ सनातन धर्म व उसकी महान परम्पराओं को जानने का अवसर भी मिला। इसी के साथ एक नाटक के द्वारा संस्कृत भाषा को प्रदर्शित भी किया गया। इस संपूर्ण कार्यक्रम में गुरुकुल के अधिष्ठाता सुखदेव राज एवं गुरुकुल के स्नातक अंशुल नरेश रघुनंदन देवदत्त अंकित आदि उपस्थित रहे।।
इस अवसर पर सभी शिविरार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।