हरिद्वार। श्री भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की योजना के अनुसार साप्ताहिक संस्कृतज्ञ स्वतन्त्रतावीर स्मृति व्याख्यानमाला का ऑनलाईन आयोजन किया। व्याख्यानमाला का उद्देश्य समाज को यह अवगत कराना था कि स्वतन्त्रता वीरों ने भी देश की आजादी में अपना अपूर्व योगदान प्रदान किया है।
व्याख्यानमाला के समापन अवसर पर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. ब्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव ने बताया कि भारत की आजादी में संस्कृतज्ञ वीरों का भी बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। श्री लोकमान्य तिलक, स्वामी दयानन्द सरस्वती, पं. मदनमोहन मालवीय, स्वामी श्रद्धनन्द, अरविन्द घोष, एवं बंकिम चन्द्र चटर्जी आदि संस्कृतज्ञों की लेखनी एवं वाणी ने स्वतन्त्रता के उद्घोष को चरम पर पहुँचा दिया था। संस्कृत के वाक्य वन्दे मातरम् को बोल-बोल कर वीर बलिदानियों ने स्वतन्त्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। व्याख्यानमाला के संयोजक डॉ. रवीन्द्र कुमार ने बताया कि संस्कृत का वेद से लेकर आधुनिक तक का समस्त साहित्य राष्ट्रप्रेम एवं राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण है। अथर्ववेद का भूमिसूक्त मातृभूमि के साथ माता और पुत्र का सम्बन्ध स्थापित करता है। राम ने जननी और जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर बताया है। इन्हीं उदाहरणों से प्रेरित होकर भारत की आजादी में संस्कृतज्ञों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है।
इस व्याख्यानमाला में डॉ. नौनिहाल गौतम, डॉ. वेदव्रत, डॉ. धर्मेद्र कुमार सिंहदेव, डॉ. दामोदर परगॉई, डॉ. तन्मय भट्टाचार्य, डॉ. उमा आर्या, डॉ. मोहित कुमार आदि मुख्य वक्ताओं ने प्रतिदिन उद्बोधन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. निरंजन मिश्र, डॉ. आशिमा श्रवण, डॉ. मंजू पटेल, डॉ. दीपक कोठारी, डॉ. आलोक सेमवाल, श्री गौरव असवाल आदि के साथ महाविद्यालय के समस्त छात्र उपस्थित रहें।