भाषा सीखना अपने आप में एक कौशल है किन्तु संस्कृत भाषा सीखना और चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि संस्कृत भाषा अध्यापन में विदेशी पद्धति का प्रयोग हो रहा है, इसका साहित्य मुख्य रूप से श्लोक रूप में उपलब्ध है और आपके आस-पास अच्छे शिक्षकों और पुस्तकों की अनुपलब्धता या कमी है। अतः इसलिए यहाँ कुछ सार्थक सुझाव दिए गए हैं।
भाषा मूल रूप से ध्वन्यात्मक और संवादात्मक है। लिपि के माध्यम से पढ़ना-लिखना बाद में आता है। इसलिए इसे उचित क्रम में सीखा जाना चाहिए। पढ़ने और लिखने से पहले भाषा को बोलना और बोलने से पहले सुनना चाहिए।
आप http://www.sanskrit.nic.in/ पर उपलब्ध वीडियो पाठों से शुरुआत कर सकते हैं या इंटरनेट पर कई अन्य संवादात्मक पाठ उपलब्ध हैं, उन्हें देखते समय, ध्यान से सुनें और शब्दों और वाक्यों को जितनी बार संभव हो दोहराएं। जैसे ही आप उन्हें पढते हैं, उन शब्दों और वाक्यों को अपने दैनिक जीवन में घर पर या मित्रों के साथ प्रयोग करना शुरू करें। यह आपको संस्कृत ध्वनियों से परिचित कराता है और स्वाभाविक रूप से शब्द रूपों और और धातुरूपों को स्थाई रूप से कंठस्थ करवाता है जिससे आपकी पढ़ाई की गति तेज होती है।
इसके अतिरिक्त, आप संस्कृत प्रमोशन फाउंडेशन के https://www.learnsamskrit.online या संस्कृत भारती के https://www.samskritabharati.in/corresponence या http://nsktu.ac.in राष्ट्रीय संस्कृत यूनिवर्सिटी तिरुपति या https://www.sanskritfromhome.in (व्योमा लिंग्विस्टिक लैब्स फाउंडेशन) या https://www.hua.edu/academics/programs/ (हिंदू यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका) द्वारा प्रस्तुत किसी भी पाठ्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त भी अनेक संस्थानों और व्यक्तिगत विद्वानों द्वारा कई अन्य अच्छे ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। प्रत्येक पाठ्यक्रम अद्वितीय और उपयोगी है। आप अपनी रुचि और अपनी भाषा दक्षता के स्तर के आधार पर पाठ्यक्रम का चयन कर सकते हैं। संस्कृत प्रमोशन फाउंडेशन द्वारा पुस्तकों के अतिरिक्त वीडियो, ऑडियो, साप्ताहिक कक्षाओं और व्हाट्सएप की सहायता से अनेक पाठ्यक्रम प्रस्तुत किये गए हैं जिनका लाभ उठा सकते हैं।
आपके भाषा अभ्यास की सफलता मुख्य रूप से क्रमशः तीन बातों पर निर्भर करती है – 1. शिक्षार्थी के प्रयास और भाषा अभ्यास का दृष्टिकोण 2. शिक्षक और शिक्षण विधि 3. पुस्तकें /शिक्षण-अधिगम-सामग्री। हालांकि सामान्य तौर पर शिक्षा के संदर्भ में महत्व का क्रमांक 2, 3, 1 होता, यहां आपके संदर्भ में क्रमांक 2 और 3 सीधे आपके प्रभाव क्षेत्र में नहीं हैं जबकि क्रमांक 1 पूर्ण से आपके वश में है। इसलिए क्रमांक 1 पर विचार करें।
हालाँकि संस्कृत सीखने का आपका उद्देश्य संस्कृत के महान कृतियों को पढ़ना और समझना हो सकता है, भाषा सीखने के स्तर पर और इसमें दक्षता प्राप्त करने के लिए आपको मौखिक और लिखित दोनों ही प्रकार से संस्कृत में अभिव्यक्ति केन्द्रित अभ्यास करने की आवश्यकता है। उन लोगों की प्रतीक्षा न करें जिनके साथ आप संस्कृत बोल सकते हैं, बल्कि अपने आस-पास के लोगों के साथ संस्कृत बोलना शुरू करें। सुनने और बोलने से आपकी भाषा में प्रवाहिता आएगी। पढ़ना और लिखना आपकी भाषा की शुद्धता को बढ़ाएगा और शब्दावली को भी सुधारेगा। शब्दों के बारे में लगातार सोचना, उनके रूप जैसे लिंग, वचन, विभक्ति, प्रत्यय, विशेष्य-विशेषण-संबंध आदि, वाक्य के बारे में वाच्य, कारक, धातुरूप इत्यादि आपको भाषा में दक्ष बनायेंगे तथा स्थाई रूप से कंठस्थ करने में सहायक होंगे। सर्वप्रथम बुनियादी भाषा कौशल का अभ्यास करें, बुनियादी व्याकरण सीखें और काव्य का अध्ययन करें, फिर लघु सिद्धांत कौमुदी इत्यादि। तत्पश्चात् आप अपनी संस्कृत यात्रा किसी शास्त्र के अध्ययन से प्रारम्भ कर सकते हैं। संस्कृत सुनिए, संस्कृत बोलिए, संस्कृत पढ़िए और संस्कृत लिखिए। प्रत्येक शब्द के अनुवाद के पीछे मत भागिए अपितु संस्कृत में समझने और सोचने का प्रयत्न कीजिए। 6 कारक, 6 कारक विभक्ति, षष्ठी विभक्ति और सभी उपपद विभक्तियों को समझना संस्कृत में दोषरहित और अच्छे वाक्यों का निर्माण करने के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
अच्छी भाषा प्राप्त करने के लिए अच्छे संस्कृत को बार-बार और निरंतर सुनना बहुत आवश्यक है। YouTube से अच्छे संस्कृत भाषण डाउनलोड करें या www.sambhashanasandesha.com से लेख और कहानियाँ डाउनलोड करें, जब आप उन्हें ज़ोर से पढ़ते हैं तो ऑडियो रिकॉर्ड करें और बाद में प्रयोग किए गए शब्दों और वाक्य संरचनाओं पर पूर्ण रूप से ध्यान देकर बार-बार सुनते रहें।
मैं बच्चों और किशोरों को सुभाषित, स्तोत्र, शब्दरूपणि, धतुरूपाणि, अमरकोश, अष्टाध्यायी, भगवद्गीता आदि के कण्ठस्थीकरण का परामर्श दूंगा। इन्हें कण्ठस्थ करना जीवन भर के लिए एक बड़ी संपत्ति होगी। प्रौढ लोग इनमें से किसी एक को कुछ महीनों तक प्रत्येक दिन ज़ोर से पढ़ सकते हैं।
संभाषण शुरुआत है और शास्त्रज्ञान को प्राप्त करने का साधन भी है। व्याकरण – अध्ययन के साथ काव्याध्यायन आपको संस्कृत में अच्छी दक्षता प्रदान करेगा। भाषा प्रयोग करने के लिए होती है न कि केवल समझने के लिए। इसलिए इसका सतत प्रयोग करें।
बुनियादी संस्कृत भाषा कौशल में दक्षता प्राप्त करने के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कौशल जिसे आपको प्राप्त करने की आवश्यकता है वो है श्लोकों के अन्वय करने की कला , जिसे आप आकांक्षा पद्धति के अभ्यास के माध्यम से सीख सकते हैं।
संस्कृत सीखने के कई आयाम और स्तर हैं जैसे सम्पर्क और शिक्षा के सभी साधनों के लिए सरल-मानक-संस्कृत, विशिष्टोद्देश-संस्कृत – आयुर्वेद, योग आदि जैसे विशिष्ट उद्देश्य के लिए संस्कृत, साहित्य पढ़ने और साहित्यिक रसास्वादन लिए प्रौढ-काव्य-संस्कृत , शास्त्राध्यायन व शास्त्र गोष्ठी के लिए न्यायभाषा-संस्कृत, वेदाध्यान के लिए वैदिक-संस्कृत आदि। हालांकि सरल मानक संस्कृत संस्कृत सीखने के अन्य सभी आयामों और स्तरों के लिए पहली सीढी और प्रवेश द्वार है।
एक विद्वान जो सूत्रों के साथ समझा सकता है कि किसी दिए गए संस्कृत शब्द की व्युत्पत्ति कैसे हुई, उसे “व्युत्पन्न” कहा जाता है। संस्कृत भाषा का प्रत्येक छात्र अपने जीवन काल में व्युत्पन्न बनने की इच्छा रखता है। क्या आप भी उनमें से एक बनना चाहेंगे?