उपनिषद् विचार- ईशावास्योपनिषद् (मन्त्र-1)

Shivdev Arya

ईशा वास्यमिदं सर्वं यत्किं च जगत्यां जगत् । तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्य स्विद्धनम् ॥ १ ॥ जो कुछ इस संसार में अपूर्ण अथवा पूर्ण वस्तुएँ हैं, उन सब में ईश्वर का निवास है अथवा ईश्वर से ढकी हुई हैं अर्थात् प्रत्येक वस्तु में ओत-प्रोत है । किसी पर्वत […]

मृतक श्राद्ध का विचार वैदिक सिद्धान्त पुनर्जन्म के विरुद्ध है

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महाभारत युद्ध के बाद वेदों का अध्ययन-अध्यापन अवरुद्ध होने के कारण देश में अनेकानेक अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न र्हुइं। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर से प्राप्त वैदिक सत्य सिद्धान्तों को विस्मृत कर दिया गया तथा अज्ञानतापूर्ण नई-नई परम्पराओं का आरम्भ हुआ। ऐसी ही एक परम्परा मृतक श्राद्ध की है। मृतक […]

स्वराज का प्रथम उद्घोषक- महर्षि दयानंद-डॉ. सोमदेव शास्त्री मुम्बई

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भारत की महिमा का वर्णन करते हुए ऋषि दयानंद ने लिखा है, कि आर्यावर्त देश ही ऐसा है कि जिसके सदृश भूगोल में दूसरा कोई देश नहीं है, इसलिए इस भूमि का नाम “सुवर्ण भूमि” है क्योंकि यह सुवर्ण आदि रत्नों को उत्पन्न करती है!—– पारस मणि पत्थर सुना जाता […]

प्रातः सायं ईश्वर की उपासना करना मनुष्य का अनिवार्य धर्म है-मनमोहन कुमार आर्य

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ईश्वर का धन्यवाद करने के लिए हमें सबसे पहले ईश्वर के स्वरूप व उसके गुण, कर्म व स्वभाव पर विचार करना है। इसके लिये हमें सुखासन या पद्मासन आदि किसी भी आसन में बैठ जाना चाहिये जिसमें अधिक देर तक हम बिना थके व पाद पीड़ा से मुक्त रह सकें। […]

भारत सरकार से एक नम्र निवेदन-विरजानन्द दैवकरणि

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          अभी गत मास अगस्त में भारत सरकार ने तथा इसकी प्रेरणा से सभी देशभक्त भारतीयों ने स्वतन्त्रता प्राप्ति का अमृतमहोत्सव मनाया है, इससे देशवासियों में देशभक्ति का संचार भी हुआ है।           इसी कार्यक्रम के समय राष्ट्रीयगान ‘जन गण मन’ का भी उच्चारण किया गया। इसे सरकार ने राष्ट्रगान […]

गहरा षडयंत्र – डॉ सोमदेव शास्त्री (मुम्बई)

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आज पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव उत्साह पूर्वक मनाया जा रहा है घर-घर तिरंगा ध्वज फहराया जा रहा है ग्राम, नगर और महानगरों में पर्वतों की चोटियों और मैदानों में भारतीय ध्वज तिरंगे को लेकर आबाल, वृद्ध नर- नारी भारत माता की जय,वंदे मातरम्, के उद्घोषों से आजादी […]

आर्य समाज की रक्षा-डॉ. सोमदेव शास्त्री

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आर्य समाज सन 2024 और 2025 में महर्षि दयानंद का 200 वां जन्मदिवस तथा आर्य समाज का 150 वां स्थापना दिवस विशाल रूप से मनाया जाए इस विषय में आर्य समाज के पदाधिकारी विचार कर रहे हैं। आर्य समाज स्थापना शताब्दी 1975 के समय जितने संन्यासी, विद्वान, शास्त्रार्थ महारथी, भजनों […]

श्रावणी पर्व एवं कृष्ण जन्माष्टमी-मनमोहन कुमार आर्य

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श्रावण का महीना वर्षा ऋतु का सबसे अधिक वर्षा वाला महीना होता है। आजकल तो देश में बड़े-बड़े नगर बस गये हैं। सुविधाजनक सड़के हैं व सड़को पर विद्युत से मिलने वाले प्रकाश की व्यवस्था है। नगरों व ग्रामों में भी बसे एवं कारें चलती हैं। एक स्थान से दूसरे […]

मात्राओं का उपयोग

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 देवनागरी लिपि की विशेषता इसकी मात्राएँ हैं। इन्हीं मात्राओं में नागरी लिपि और हिन्दी भाषा की शक्ति छिपी हुई है। केवल 12 मात्राओं और 36 व्यंजनों में मानव वाणी के सभी सम्भव स्वर समाये हुए हैं। इसलिए किसी भी भाषा को कोई भी शब्द नागरी लिपि में अधिकतम शुद्धता के […]

जब-जब समाज में संगतिकरण बिगड़ता है तब-तब राष्ट्र बिगड़ता हैः डा. वागीश आर्य

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वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के दिनांक 11-5-2022 से 15-5-2022 तक आयोजित पांच दिवसीय ग्रीष्मोत्सव के समापन आयोजन में आर्यजगत् के शीर्ष विद्वान डा. वागीश आर्य जी का सम्बोधन हुआ। उन्होंने अपना सम्बोधन एक वेदमन्त्र बोलकर आरम्भ किया। अपने सम्बोधन के आरम्भ में उन्होंने प्रश्न किया कि आर्य और हिन्दू […]