ईशा वास्यमिदं सर्वं यत्किं च जगत्यां जगत् । तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्य स्विद्धनम् ॥ १ ॥ जो कुछ इस संसार में अपूर्ण अथवा पूर्ण वस्तुएँ हैं, उन सब में ईश्वर का निवास है अथवा ईश्वर से ढकी हुई हैं अर्थात् प्रत्येक वस्तु में ओत-प्रोत है । किसी पर्वत […]
गवेषणा
मृतक श्राद्ध का विचार वैदिक सिद्धान्त पुनर्जन्म के विरुद्ध है
महाभारत युद्ध के बाद वेदों का अध्ययन-अध्यापन अवरुद्ध होने के कारण देश में अनेकानेक अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न र्हुइं। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर से प्राप्त वैदिक सत्य सिद्धान्तों को विस्मृत कर दिया गया तथा अज्ञानतापूर्ण नई-नई परम्पराओं का आरम्भ हुआ। ऐसी ही एक परम्परा मृतक श्राद्ध की है। मृतक […]
स्वराज का प्रथम उद्घोषक- महर्षि दयानंद-डॉ. सोमदेव शास्त्री मुम्बई
प्रातः सायं ईश्वर की उपासना करना मनुष्य का अनिवार्य धर्म है-मनमोहन कुमार आर्य
भारत सरकार से एक नम्र निवेदन-विरजानन्द दैवकरणि
गहरा षडयंत्र – डॉ सोमदेव शास्त्री (मुम्बई)
आर्य समाज की रक्षा-डॉ. सोमदेव शास्त्री
श्रावणी पर्व एवं कृष्ण जन्माष्टमी-मनमोहन कुमार आर्य
मात्राओं का उपयोग
जब-जब समाज में संगतिकरण बिगड़ता है तब-तब राष्ट्र बिगड़ता हैः डा. वागीश आर्य
वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के दिनांक 11-5-2022 से 15-5-2022 तक आयोजित पांच दिवसीय ग्रीष्मोत्सव के समापन आयोजन में आर्यजगत् के शीर्ष विद्वान डा. वागीश आर्य जी का सम्बोधन हुआ। उन्होंने अपना सम्बोधन एक वेदमन्त्र बोलकर आरम्भ किया। अपने सम्बोधन के आरम्भ में उन्होंने प्रश्न किया कि आर्य और हिन्दू […]