‘धर्म के बिगाड़ से संसार में उथल-पुथल’ – स्वामी आर्यवेश

Shivdev Arya

आर्य कन्या गुरुकुल शिवगंज सिरोही के रजत जयन्ती समारोह के द्वितीय दिवस का शुभारम्भ आध्यात्म शिविर से हुआ, जिसका आयोजन डाॅ. सत्यम् ने कराया। आध्यात्म शिविर में प्राणायाम का अभ्यास कराने के साथ-साथ बताया कि हम सबको योग को अपने जीवन का अंग बनाना चाहिए। शिविर के पश्चात् डाॅ. सूर्यादेवी चतुर्वेदा के ब्रह्मत्व में यज्ञ का आयोजन किया गया। डाॅ. सूर्यादेवी ने बताया कि यज्ञ संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म है, हम सबको यज्ञ को नित्यप्रति करना चाहिए। यह यज्ञ ही हम सबको आगे ले जाने वाला है। गुरुकुल के न्यासी ओम मुनि ने बताया कि इस समारोह में आये सभी श्रद्धालुओं को संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी एक बुराई को छोड़कर एक अच्छी को धारण करने का संकल्प लें।
प्रथम सत्र के रूप में धर्म सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता आर्य प्रतिनिधि सभा के नेता स्वामी आर्यवेश ने की। स्वामी आर्यवेश ने बताया कि आज धर्म के नाम पर पाखण्ड व अन्धविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है। धर्म के बिगडे़ स्वरूप के कारण धर्म के नाम पर संसार में उथल-पुथल मची हुई है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डाॅ. प्रशस्यमित्र शास्त्री ने अपने उद्बोधन में बताया कि धर्म की किसी भी परिभाषा में ईश्वर का नाम नहीं है। उन्होंने कई वैदिक धर्म की परिभाषायें बतायीं। ब्रह्मचारिणी किरणमयी ने बताया कि धर्म वह जो धारण किया जाये, और वेदोक्त अच्छी बातों को धारण करना ही धर्म है। प्रो. प्रतिभा पुरन्धि ने बताया कि वैदिक धर्म के न मानने के कारण विश्व में अशान्ति ही अशान्ति बढ़ रही है। बालिकाओं ने कविता, भजन, भाषण आदि के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर आये जनता को आश्चर्य विभोर किया। इस अवसर पर गुरुकुल की बालिकाओं ने पाणिनि पंचोपदेशों की प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर विभिन्न पुरस्कारों को भी प्राप्त किया।
द्वितीय सत्र के रूप में शिक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय अजमेर के प्रोफेसर नरेश धीमान ने की। प्रो. नरेश धीमान ने अपने वक्तव्य में बताया कि शिक्षा का यथार्थ स्वरूप गुरुकुलों में ही प्रदान किया जाता है। आचार्या मैत्रेयी ने बताया कि यह गुरुकुल शिक्षा का सर्वोत्तम केन्द्र है, सारकार जिस विषय में आज सोच रही है बेटी पढ़ाओ – बेटी बढ़ाओ उसका पालन यह गुरुकुल कर रहा है। हैदराबाद से आयी आचार्य सविता ने बताया कि बताया कि शिक्षा ही जीवन्नोत्ति का आधार है। यदि जीवन में शिक्षा नहीं है तो व्यक्ति का कोई भी अस्तित्व नहीं है। वैदिक वैज्ञानिक स्वामी अग्निव्रत नैष्ठिक ने आधुनिक विज्ञान का आधार वेद को ही बताया। आधुनिक विज्ञान आज भी वेदों के आधार पर बहुत पीछे है। आज के वैज्ञानिक वेदों के महत्व को समझ कर उसका अध्ययन कर रहे हैं।
रात्रिकालीन सत्र में गुरुकुल की बालिकाओं ने गीत तथा भाषण हुए तथा शौर्यपूर्ण शस्त्रों का संचालन किया। बालिकाओं के लाठी, भाला, तलवार ने उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। इस अवसर पर बालिकाओं ने योगासन, मार्शल आर्ट, परेड तथा निशानेबाजी आदि का प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम का संचालन आचार्य डाॅ. धनंजय, डाॅ. शिवकुमार, नीरज आर्य, डाॅ. मिनाक्षी एवं पूजा आर्या ने किया।
प्रस्तुत कार्यक्रम में आचार्या अन्नपूर्णा, आचार्या डाॅ. प्रियंवदा, डाॅ. ऋचा शास्त्री, डाॅ. दीक्षा, किशन गहलोत, डाॅ. नरेश बत्रा, डाॅ. सुनीति वेदरत्न, साध्वी डाॅ. उत्तमा यति, आचार्या सुनीता, आचार्य वेदकर, आचार्या वसुधा देवी, डाॅ. प्रतिभा पुरन्धि, डाॅ. सुनील शर्मा, डाॅ. आरती शर्मा, नीरज आर्य, डाॅ. सुनीता ठक्कर, अरुणा नागर, नटवर नागर, सत्यव्रत चैधरी, कान सिंह राणावत, छगन कुमार, सरोजनी देवी, जगदीश विश्वकर्मा, प्रशान्त नागर, प्रज्ञा नागर, अनिल शर्मा, शिवदेव आर्य आदि उपस्थित रहे।

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