संस्कृत भाषा भारत की ही नहीं अपितु विश्व की भाषा हैं-डॉ.अखिलेश शर्मा

Shivdev Arya

महरौनी (ललितपुर) : महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी जिला ललितपुर के तत्वावधान में “आजादी के अमृत महोत्सव” पर वैदिक धर्म के सही मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा दो वर्षो से प्रतिदिन आयोजित “आर्यों के महाकुंभ” व्याख्यान माला में दिनांक 24 अगस्त 2022 को “संस्कृत एवं संस्कृति” विषय के संबंध में अपने विचार प्रकट करते हुए प्रो. डॉ अखिलेश शर्मा जलगांव महाराष्ट्र ने कहा कि यदि संसार की सारी भाषाओं का अर्थ पूछा जाए तो उन भाषाओं से उन उन देशों का जातियों का नाम भी जाना जाता है या प्रदेशों का नाम जाना जाता है। यदि हम भारत के संबंध में भी चर्चा करें तो पता चलता है कि मराठी भाषा से महाराष्ट्र जुड़ा है। कन्नड़ से कर्नाटक जुड़ा है पंजाबी से पंजाब जुड़ा है बंगाली से बंगाल जुड़ा है हिंदी से हिंदुस्तान जुड़ा है ठीक इसी प्रकार अंग्रेजी से इंग्लैंड जुड़ा है रशियन से रशिया जुड़ा है जर्मन से जर्मनी जुड़ा है और अरबी से अरब जुड़ा है। परंतु यदि कोई पूछे कि संस्कृत से क्या जुड़ा है? तो लोग सोचते रह जाएंगे परंतु विश्व में एक मात्र ऐसी भाषा संस्कृत है जिसे किसी देश विशेष का नाम नहीं जुड़ा है। हां कुछ लोगों ने अज्ञानता वश संस्कृत को ब्राह्मणों से हिंदुओं से भारत से जोड़ने का प्रयत्न किया है परंतु यदि विस्तार दृष्टि से देखा जाए तो संस्कृत मूल रुप से पूरी विश्व की भाषा समझ में आती है। अंग्रेजी हो रशियन हो लेटिन हो या अन्य कोई भाषा हो इनके शब्दकोश को हम देखें तो इनके मूल में कहीं न कही हमें संस्कृत के शब्द दिखाई देते हैं। कहीं कहीं वे शब्द अपभ्रंश के रूप में तो कहीं तत्सम रुप में भी दिखाई देते हैं। संस्कृत का अर्थ शुद्ध परिष्कृत या ठीक प्रकार से की गई भाषा है। आज के प्रचलित धर्मौ में सबसे पुरातन धर्म बुद्ध धर्म को कहा जाता है परंतु बुद्ध से भी प्राचीन सनातन वैदिक धर्म है। और यह निश्चित है कि बुद्ध से पूर्व वेद दर्शन उपनिषद आदि विद्यमान थे। विश्व के प्राचीन और अर्वाचीन दोनो इतिहासकार यह मानते हैं कि ऋग्वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ है और यह ग्रंथ विशुद्ध वैदिक संस्कृत में लिखा गया है। विश्व में सबसे पहले शब्दकोश कार के रूप में यदि किसी को जाना जाता है तो वे महर्षि यास्क है। जिन्होंने निंघंटु(निरुक्त) नामक ग्रंथ भी संस्कृत में लिखा। ठीक इसी प्रकार वेदों के विषय में भी पाश्चात्य पौर्वात्य विद्वान उन्हीं 25,000 वर्ष तक प्राचीन बताते हैं वे भी सारे संस्कृत में हैं। आज नासा में 67000 संस्कृत पांडुलिपियां इकट्ठे की गई है जिन पर शोध कार्य चल रहा है । वहां के वैज्ञानिक कहते हैं कि छटा और सातवां कंप्यूटर का जो वर्जन आएगा उसके लिए भी संस्कृत भाषा अत्यंत उपयुक्त है। क्योंकि संस्कृत भाषा जैसी लिखी जाती है वैसे बोली जाती है जैसे बोली जाती है वैसे ही पढी जाती है तथा वैसे ही समझी जाती है। संस्कृत भाषा में ही आयुर्वेद दर्शन उपवेद स्मृतियां ब्राह्मण ग्रंथ धर्म ग्रंथ पुराण भगवत गीता रामायण महाभारत आदि अनेकों श्रेष्ठ ग्रंथ विद्यमान है।विदेशी लोग भी संस्कृत की महत्वता को जानते थे इसीलिए जब जर्मन कवि गेटे ने कालिदास का अभिज्ञान शाकुंतलम यह नाटक पढा तो उसे सिर पर रखकर नाचे और उसे शेक्सपीयर आधी से भी अतुलनीय बताते हुए संसार का सर्वश्रेष्ठ नाटक घोषित किया। संस्कृत के महत्व को समझते हुए ही आज जर्मनी के 14 विश्वविद्यालयों में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन किया जाता है। ग्रामोंफोन का जब अविष्कार हुआ उस समय सर्वप्रथम इसके द्वारा दुनिया को क्या संदेश दिया जाए इस पर विचार किया जा रहा था उस समय के विदेशी श्रेष्ठ विद्वान मेक्स मूलर बुलाया गया। तब उन्होंने सर्वप्रथम ग्रामोफोन से दुनिया को ऋग्वेद का पहला मंत्र सुनाया और कहा कि इससे अच्छा दूसरा कुछ नहीं हो सकता। दुनिया की सारी भाषाओं में सबसे अधिक शब्द भंडार भी संस्कृत का ही है संस्कृत में 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्द संपदा विद्यमान है जो दुनिया की किसी भी भाषा में नहीं है। संस्कृत में 63 वर्ण है। जो मुख से उच्चारण स्थान से अधिक से अधिक जिसने वर्णन निकल सकते हैं वे सारे वर्ण संस्कृत में विद्यमान है। संस्कृत भाषा केवल धर्म की भाषा नहीं है अपितु खगोल,भूगोल, गणित ज्योतिष आयुर्वेद योग भूगर्व वनस्पति संगीत इत्यादि अनेक विषयों की भाषा है। परंतु आज खेद होता है कि जो भारत इसका मूल था वही इसे भूला रहा है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि जैसे योग योगा बनकर करके आया तो हम सब ने उसे अपनाया ,आयुर्वेद आयुर्वेदा बन करके आया तो हमने उसे अपनाया ,यज्ञ यज्ञा बनकर आया तो उसे हमने अपनाया।कहीं ऐसा न हो कि संस्कृत संस्कृटा बनकर जब आए तब हम उसे अपनाएं।

व्याख्यान माला में मृदुला कीर्ति आस्ट्रेलिया, प्रो निष्ठा विद्यालंकार लखनऊ,पंडित नागेश चंद्र शर्मा मुंबई,आचार्या प्रीती शर्मा वेदालंकार (मुम्बई), प्रभात कुमार सक्सेना (कानपुर), पंडित चंद्र शेखर शर्मा ग्वालियर, डॉ.सतेंद्र शास्त्री ग्वालियर,
,इंजी संदीप तिवारी ललितपुर,रामकिशोर निरंजन शिक्षक, दया आर्या हरियाणा,उर्मिला आर्य कानपुर,रामकुमार दुबे शिक्षक,, राम सेवक निरंजन शिक्षक,बद्री रिछारिया शिक्षक, ईश आर्य राज्य प्रभारी भारत स्वाभिमान हरियाणा,विमलेश सिंह शिक्षक,मिथलेश गौर, भोगी प्रसाद म्यामार,जयपाल सिंह बुंदेला मिदरवाहा, अवधेश प्रताप सिंह बैंस,प्रो डॉक्टर व्यास नन्दन शास्त्री बिहार,प्रो डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली,चंद्रकांता आर्या चंडीगढ़,अनिल नरूला दिल्ली,सुमन लता सेन आर्य शिक्षिका,आराधना सिंह शिक्षिका,,विवेक सिंह आर्य शिक्षक गाजीपुर, कृष्णा सोनी इंदौर,रामकिशोर निरंजन शिक्षक,सौरभ कुमार शर्मा एडवोकेट प्रयागराज,कमला हंस,चंद्र शेखर शर्मा राजस्थान,चरण सिंह राजपूत मड़ावरा बैंक अधिकारी,शिवकुमार यादव बिजौर निवाड़ी,नरेश यादव मुंबई,प्रेम सचदेवा,लाल चंद्र वर्मा खुर्जा,चंद्रभान सेन राज्यपाल पुरुष्कृत शिक्षक पन्ना,शिशुपाल सेन शिक्षक,बलराम सेन एड, सौरभ सेन कचनौदा कला,ध्यान सिंह यादव मिदरवाहा आदि जुड़ रहें हैं।
संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रथ ने जताया।

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