तप,स्वाध्याय,ईश्वर प्राणिधान द्वारा अध्यात्म से जुड़े – डॉ. मोक्षराज अजमेर

Shivdev Arya

महरौनी(ललितपुर) : महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वाधान में वैदिक धर्म के सही मर्म को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा पिछले एक वर्ष से आयोजित व्याख्यान माला में “अध्यात्म एवम पाखंड ” विषय पर अमेरिका में भारत के प्रथम सांस्कृतिक राजनायिक आचार्य डॉक्टर मोक्षराज अजमेर ने कहा कि प्राचीन वैदिक काल से आज तक आध्यामिक साहित्य की जो निर्मल अमृतधारा निर्बाध गति से वह रही हैं,उसमे वेद, आरण्यक ग्रंथ, उपनिषद, वेदांत आदि के साथ ही स्मृति ग्रंथ, गृहयसूत्र जैसे ग्रंथो का हमारे जीवन में एक विशिष्ठ स्थान रहा हैं। इन्हीं के द्वारा हमारा आर्यावर्त अर्थात भारत सदैव समस्त विश्व में सिरमौर रहा हैं। मगर दुर्भाग्य मध्यकाल में वैदिक प्रणाली के लूप होने से हमे स्त्यासत्य का ज्ञान न रहा,परिणाम स्वरूप समाज में अंधविश्वास,पाखंड,आदि ने अपना प्रभाव दिखाया,जिसमे बिल्ली रास्ता काट जाए अपसकुन,शनिवार को शनि मूर्ति पर तेल चढ़ाओ दुष्प्रभाव कम होगा,जो भाग्य में होगा वही मिलेगा यह अकर्मण्यता, भूतप्रेत से डायन आदि का पूजन कराओ छुटकारा मिलेगा । तीर्थ स्नान से पापों से मुक्ति इत्यादि। हमारे महापुरुषों ने हमे सही रास्ता दिखाया,भगवान श्रीराम ने मां सीता ही नहीं,बल्कि समस्त नारी शक्ति को दुष्टों के चंगुल से मुक्त कराया,योगिराज श्रीकृष्ण चंद्र ने अहंकारी,राष्ट्रघाटी,राजाओं का तर्क नष्ट कीया हैं। लोग मानते आर्य समाज भगवान को नहीं मानता,मूर्ति पूजा को नही मानता हूं ।में कहता हूं मूर्ति पूजा एक अलग विषय हैं,पर जब अयोध्या बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ,हराओं कारसेवकों को ,जो राम मंदिर की तरफ जा रहे थे।उस समय आर्य समाजियों ने नाश्ता,फल और पानी पिलाकर उनका सम्मान किया,मंदिर निर्माण में सहयोग मांगा गया, मेने कहा इनको इसे राशि नही देंगे,आस पास के समाजों ने इंदौर,अयोध्या आदि तथा अजमेर से करीब,75 लाख रुपयों की आशिद बनाई।देश की अन्य आर्य समाजी से करोड़ो रूपरे दिए गए।
क्यों ! इसलिए भी भगवान राम ,भगवान कृष्ण,एम आस पूर्वज हैं। हमारी वैदिक धर्म,संस्कृति के रक्षक है
आज अयोध्या में केवल राम का मंदिर ही नही बन रहा बल्कि सारी दुनिया में वैदिक सनातन धर्म संस्कृति का महान स्मारक बन रहा हैं।

भारतीय संस्कृति भारत की पावन भूमि से कंबोडिया,वर्मा,भूटान,इंडोनेशिया, रशियन आदि में जो हमारे चरित्रनायको की छाप है वो इन्हीं महापुरुषों से है । आओ हम पतंजलि योग दर्शन के,”तप:,स्वाध्याय,ईश्वर प्राणिधानानी क्रिया योग:” द्वारा तप,स्वाध्याय, सु अध्याय,और ईश्वर प्राणिधान द्वारा अपने समस्त कर्म उसी प्रभु को अर्पण करते हुए अध्यात्म से जुड़े।

पुष्पा चराया ने भजन “जगत में चिंता मिटी है उनकी,शरण में तेरी जो आ पढ़े है”

वेदांशी आर्य ब्रह्मचारिणी श्रीमद दयानंद कन्या महाविद्यालय चोटीपुरा ने भजन “जिए जा रहे हैं,किए जा रहे हैं,सफर को खत्म हम किए जा रहे है”

अदिति आर्या ने भजन “प्रभु प्यारे का जिससे संबंध है,उसे हर पल आनंद ही आनंद हैं” प्रस्तुत किया।

व्याखान माला में हेमदेव थापर पुणे,आनंद पुरुषार्थी नर्मदापुरम, विजय सिंह निरंजन एडवोकेट,आराधना सिंह शिक्षिका,सुमन लता सेन शिक्षिका,बृजेंद्र नपीत शिक्षक ललितपुर,पंडित शंकर लाल शर्मा जयपुर,अनिल नरौला,प्रेम सचदेवा दिल्ली,डॉक्टर वेद प्रकाश शर्मा,चंद्रकांता आर्या,रामदेव शास्त्री आदि उपस्थित रहे। संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवं आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने जताया।

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