वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादून का 5 दिवसीय ग्रीष्मोत्सव आगामी 11-15 मई, 2022 को

Shivdev Arya

वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून आर्यजगत् की प्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित संस्था है। इसकी स्थापना अमृतसर के बावा गुरमुख सिंह जी के सात्विक दान से सन् 1949 में हुई थी। बावा गुरमुख सिंह जी को आश्रम की स्थापना की प्रेरणा आर्यसमाज के एक महान संन्यासी महात्मा आनन्द स्वामी सरस्वती जी ने की थी। महात्मा आनन्द स्वामी जी तपोवन भूमि में स्थापना से पूर्व आते रहते थे और यहां रहकर महीने व अधिक समय तक एकान्त योग व ध्यान साधना किया करते थे। आश्रम की स्थापना के बाद यहां वर्ष में दो बार ग्रीष्मोत्सव एवं शरदुत्सव किये जाने की परम्परा स्थापित की गई जिसमें योगान्तर्गत ध्यान व आसन आदि का प्रशिक्षण दिये जाने सहित वृहद वेद पारायण यज्ञ, वेद प्रवचन, वैदिक विषयों पर अनेक विद्वानों के उपदेश, महिला, युवा, भजन सन्ध्या आदि आयोजनों सहित भजनोपदेशकों द्वारा ईश्वर, वेद एवं ऋषि दयानन्द जी के जीवन पर प्रभावशाली भजन होते हैं।

आश्रम का आगामी ग्रीष्मोत्सव 11 मई से आरम्भ होकर 15 मई, 2022 को समाप्त होगा। इस अवसर पर उपर्युक्त सभी कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। आश्रम के प्रधान श्री विजय आर्य तथा मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी पूर्णरूपेण समर्पित होकर आश्रम की उन्नति के लिए प्रयत्नशील हैं। आगामी उत्सव में स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी योग साधना के निर्देशक एवं यज्ञ के ब्रह्मा बनाये गये हैं। जिन विद्वानों को आमंत्रित किया हैं वह निम्न हैंः

1- आचार्य वागीष आर्य जी
2- पं. उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ जी, आगरा
3- स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती जी, देहरादून
4- डा. धनन्जय आर्य जी, गुरुकुल पौंधा देहरादून
5- आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी
6- पं. वेदवसु शास्त्री जी, आर्य पुरोहित
7- आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी
8- डा. श्रीमती सुखदा सोलंकी जी, संस्कृताचार्या, डीएवी महाविद्यालय
7- श्रीमती सुरेन्द्र अरोड़ा जी आदि।

आश्रम में ग्रीष्मोत्सव में जो यज्ञ किया जायेगा उसमें मन्त्र पाठ गुरुकुल पौंधा-देहरादून के ब्रह्मचारीगण करेंगे। उत्सव में यज्ञ एवं अन्य क्रार्यक्रमों का संचालन पं. सूरतराम शर्मा जी तथा हरिद्वार से पधारने वाले आर्य विद्वान पं. शैलेशमुनि सत्यार्थी जी करेंगे। इस आयोजन में दिल्ली से केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के प्रधान श्री अनिल आर्य जी भी आ रहे हैं। वह रविवार के समापन समारोह का संचालन करेंगे। ग्रीष्मोत्सव में निम्न भजनोपदेशकों के मुखारविन्द से श्रोताओं को मधुर एवं प्रभावशाली भजनों का श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।

1- श्री कुलदीप आर्य जी
2- पं. आर्यमुनि जी पूर्व नाम पं. रुवेल सिंह आर्य जी। पं. रुवेल सिंह जी ने अनेक मधुर एवं प्रभावशाली भजन लिखे व गायें हैं। उनके स्वलिखित भजन यूट्यूब पर उपलब्ध है। उनके नाम से उनके भजनों को सर्च कर सुना जा सकता है।
3- श्रीमती मीनाक्षी पंवार जी, शास्त्रीय गीत व भजन गायिका।

उत्सव मे पांच दिनों कार्यक्रम की रूपरेखा निम्न है।

योग साधनाः प्रातः 4.00 से 6.00 बजे तक
सन्ध्या एवं यज्ञः प्रातः 6.30 से 8.30 बजे तक
भजन एवं प्रवचनः प्रातः 10.00 से 12 बजे तक
यज्ञ, सन्ध्या एवं उपदेशः सायं 3.30 बजे से 6.00 बजे तक
भजन एवं प्रवचनः रात्रि 7.30 बजे से 9.30 बजे तक।

आयोजन के प्रथम दिन 11 मई को ऋषिभक्तों को दो विषयों पर प्रमुख विद्वानों के उपदेश सुनने को मिलेंगे। प्रथम उपदेश का विषय है महर्षि दयानन्द एवं आर्यसमाज तथा दूसरे व्याख्यान का विषय है विश्व में नवजागरण के पुरोधा महर्षि दयानन्द। दिनांक 12 मई को युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया है जिसका संचालन विश्व प्रसिद्ध आर्य विद्वान आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी करेंगे। कार्यक्रम का अध्यक्ष वैदिक विद्वान डा. कृष्णकान्त वैदिक, देहरादून को बनाया गया है। इस दिन विद्वानों के दो विषयों पर प्रवचन होंगे जिनमें से प्रथम का विषय है पाश्चात्य संस्कृति के आक्रमण से युवाओं की रक्षा के उपाय तथा दूसरे व्याख्यान का विषय है तनाव रहित जीवन जीने की कला। तीसरे दिन दिनांक 13 मई को महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस दिन होने वाले दो व्याख्यानों के विषय हैं वैदिक संस्कृति के अनुपालन से ही नारी जाति का सम्मान एवं सर्वांगीण विकास सम्भव है तथा दान प्रकृति का ऋत नियम है। आयोजन के चर्तुर्थ दिवस दिनांक 14 मई, 2022 को योग एवं उपासना सम्मेलन का आयोजन किया गया है जिसके अध्यक्ष स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती होंगे। समापन समारोह में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी को आमंत्रित किया गया है। अतिथियों का स्वागत आश्रम के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी करेंगे तथा कार्यक्रम का संचालन श्री अनिल आर्य, दिल्ली करेंगे। समापन समारोह में धर्मपिपासुओं को प्रसिद्ध भजनोपदेशक श्री कुलदीप आर्य, पंडित आर्यमुनि तथा श्री रमेशचन्द्र स्नेही जी के भजन सुनने को मिलेंगे। कार्यक्रम के मध्य में आर्यकवि श्री वीरेन्द्र राजपूत जी द्वारा रचित ऋग्वेद के प्रथम दशांश के 1149 मन्त्रों के काव्यांर्थ की पुस्तक ‘ऋग्वेद काव्यार्थ’ का लोकार्पण सम्पन्न किया जायेगा। कार्यक्रम के समापन के बाद ऋषि लंगर की व्यवस्था की गई है।

उससे पूर्व कि हम इस आलेख को विराम दें, वैदिक साधन आश्रम की गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण भी प्रस्तुत कर रहे हैं। आश्रम में पिछले 72 वर्षों से प्रातःकालीन एवं सायंकालीन यज्ञ होता आ रहा है। प्रत्येक वर्ष 5 दिवसीय ग्रीष्मोत्सव मई महीने में तथा शरदोत्सव अक्टूबर मास में होता है जिसमें दोनों समय वृहद यज्ञ किया जाता है। आश्रम की पर्वतीय इकाई में प्रत्येक वर्ष मार्च महीने में चतुर्वेद पारायण यज्ञ अथवा गायत्री यज्ञ सम्पन्न किया जाता है। मई-जून महीने में युवक एवं युवतियों के लिए बौद्धिक विकास शिविर आयोजित किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा शिविरों का निरन्तर आयोजन भी किया जाता है। तपोवन विद्या निकेतन जूनियर हाई स्कूल का सफल संचालन भी किया जा रहा है। पिछले 34 वर्षों से पवमान मासिक पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है। अन्य भी अनेक गतिविधियां आश्रम द्वारा संचालित की जाती हैं। यह सब कार्य आश्रम के शुभचिन्तकों से दान में प्राप्त धनराशि से सम्पन्न किये जाते हैं।

वैदिक धर्म संस्कृति में आत्म-कल्याण का प्रयत्न करना, शारीरिक एवं सामाजिक उन्नति के लिए यज्ञ करना, उपासना करना, स्वाध्याय करना, सत्संग करना, दान देना, विद्वानों व सत्पुरुषों की संगति करना आदि का महत्व है। यह सब काम आश्रम के उत्सव में सम्मिलित होने पर पूरे होते हैं। इससे हमारा जन्म, जीवन तथा चरित्र सुधरता व बनता है। आश्रम की ओर से देश के सभी सभी धर्मप्रेमियों को इस आयोजन में आमंत्रित किया गया है। आश्रम में इन आयोजन में बिना किसी शुल्क सम्मिलित हुआ जा सकता है। आश्रम में निवास एवं भोजन की व्यवस्था आश्रम की ओर से निःशुल्क की जाती है। हमे इस दुर्लभ सत्संग का लाभ उठाना चाहिये। इसमें सम्मिलित होने वाले बन्धुओं को ज्ञान प्राप्ति व सत्कर्मों की प्रेरणा सहित धर्मलाभ अवश्य होना सम्भव है। इसी के साथ इस आलेख को विराम देते हैं।

-मनमोहन कुमार आर्य

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