ज्ञान-विज्ञान का विशाल भण्डार है महाभारत- प्रो. श्रीनिवास वरखेडी

Shivdev Arya

हरिद्वार । श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार के अंग्रेजी व संस्कृत व्याकरण विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महाभारत की प्रासंगिकता विषय पर द्विदिवसीय वेबीनार का आज उद्घाटन किया गया।
वेबीनार का उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्यातिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी जी ने किया। प्रो. वरखेडी जी ने कहा कि महाभारत ज्ञान-विज्ञान का विशाल भण्डार है। महाभारत में सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक चिन्तन के साथ-साथ कूटनीति का भी विशद वर्णन किया है। उन्होंने कहा कि महाभारत पंचम वेद है। महाभारत का प्रत्येक श्लोक एक नई शिक्षा प्रदान करता है। नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत हम महाभारत को मुख्य पाठ्यक्रम में शामिल कर रहें हैं, जिससे महाभारत की शिक्षाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके। उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् के सहायक संस्कृत निदेशक डॉ. वाजश्रवा आर्य ने कहा कि महाभारत विश्व का सबसे विशालतम ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ऐसी कोई शिक्षा नहीं है, जिसका उल्लेख इसमें नहीं है। इसीलिए महाभारत विश्व में प्रसिद्ध है।
उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता प्रख्यात शिक्षाविद् जे.एन.यू. के अंग्रेजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर, वर्धा हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व उच्च अध्ययन केन्द्र, शिमला के पूर्व निदेशक प्रो. कपिल कपूर ने महाभारत पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में महाभारत के प्रति नकारात्मक भाव है। समाज महाभारत को केवल नाटक के रूप में देखता है, वह मूल महाभारत को नहीं पढता है। जिसके कारण हम महाभारत की मूल शिक्षा को समझने में असफल हैं। कुछ विद्वानों का कहना है कि महाभारत की कथा काल्पनिक है, परन्तु पुरातत्त्वविदों ने सप्रामाण यह स्थापित कर दिया है कि महाभारत की कथा काल्पनिक नहीं है। प्रो. कपूर ने कहा कि यूनेस्कों ने 46 सभ्यताओं को सूचीबद्ध किया है, उसमें से केवल हिन्दूसभ्यता ही एकमात्र ऐसी है, जो अभी तक विद्यमान है। यह केवल हमारे शास्त्रो की ही देन है।

डॉ. शैलेश कुमार तिवारी ने कहा कि महाभारत की शिक्षाओं को घर-घर तक पहुंचाना चाहिए। महाभारत के प्रति हमें अपनी नकारात्मक मानसिकता को बदलना पड़ेगा। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय प्रबन्धसमिति के अध्यक्ष व श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर डॉ. बिहारी लाल शर्मा जी ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि वेबीनार के माध्यम से महाभारत की शिक्षाएं समाज के समक्ष आयेंगी। जिनसे समाज को महाभारत को समझने में सरलता होगी।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. ब्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव ने उपस्थित सभी विशिष्ट विद्वानों का आभार व्यक्त करते हुए सभी प्रतिभागियों को अपनी शुभकामनाएं प्रदान की। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. आशिमा श्रवण व डॉ. रवीन्द्र कुमार ने किया। कार्यक्रम में डॎॕ. निरंजन मिश्र , प्रो.शीला काकडे, प्रो. चन्द्रप्रभा पाण्डेय, प्रो. श्रवण कुमार, प्रो. उमा पाण्डेय, डॉ. मंजुला भगत आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहें।

कार्यक्रम के दौरान प्रो. श्रीनिवास वरखेडी वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए

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