नारी की स्वछंदता राष्ट्र के पतन में सहायक-कृष्ण शास्त्री निवाड़ी

Shivdev Arya

महरौनी(ललितपुर)_ महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वाधान में वैदिक धर्म के सही मर्म को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा पिछले एक वर्ष से आयोजित व्याख्यान माला में “नारी का वैदिक स्वरूप” विषय पर वैदिक प्रवक्ता कृष्ण शास्त्री निवाड़ी गाजियाबाद में कहा कि आज वर्तमान में जहां नारी जाति भौतिक उपलब्धियों को प्राप्त करने में एक दूसरे अग्रिम पंक्ति में खड़ी दिखाई दे रही हैं वही दूसरी तरफ आजादी के नाम पर नारी सुलभ मार्यादाओ को लाँघकर फूहड़पन,झूठी शान,मिस इंडिया,मिस वर्ल्ड तथा मनोरंजन का साधन बनकर रह गई हैं । जबकि वैदिक काल में जहां अपाला,विश्ववारा, घोषा,आदि वेदों की रिषिकाए हुई हैं जिन्होंने वेदों का साक्षात्कार किया था। वही परवर्ती काल में गार्गी, मैत्रायी,मदालसा,विद्योत्मा आदि हुई यह क्रम महाभारत काल तक चला।
जहां कहा गया “स्त्री ही ब्रह्मा वभूविथ” अर्थात नारी यज्ञ की ब्रह्मा कही गई हैं,स्त्री को नारी रत्न कहा गया,अर्थात सर्वश्रेष्ठ। ऋग्वेद में कहा “अहम केतु:” इसमें सर्वोच्च शिखर की उपमा दी गई हैं। नारी उद्घोष करती है कि में शिर हूं । घर में प्रधान हूं। “अहम उग्र:” में तेजश्वनी हूं। “मम पुत्र:,शत्रु हंता मेरे पुत्र शत्रु घाती हैं और मेरी पुत्री तेजश्वनि हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती सत्यार्थ प्रकाश के दूसरे सम्मुल्लास में लिखते हैं “धन्य वह माता हैं कि जो गर्भाधान से लेकर जब तक पूरी विद्या न हो तब तक सुशिलता का उपदेश करें। गृहणी को ही गृह कहा गया हैं। मनु कहते हैं “दाराधीनत्था स्वर्ग:” अर्थात अपना व परिवार का जितना सुख हैं वह सब स्त्री के ही अधीन होता हैं।भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं ” हे अर्जुन जब उच्च कुलों में स्त्रियां स्वच्छंद हो जाती हैं तो वह दूषित हो जाती हैं और फिर उनमें वर्ण शंकर संतान पैदा होती हैं” जो समाज व राष्ट्र के लिए घातक बनती हैं।जब जब नारी का शोषण हुआ,तब तब राष्ट्र का पतन हुआ।

मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने कहा “नारी कुल की लक्ष्मी,नारी कुल की लाज बन जाए ब्रह्म बादनी तो ऊंचा उठे समाज”

वेदांशी आर्या ब्रह्मचारिणी श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकुल चोटीपुरा “हक छीन कर किसी का न चैन पाएगा तू”

अदिति आर्या ने भजन “ईश्वर तुम्हें दया करो,तुम बिन हमारा कौन हैं”

विंदू मदान ने भजन ” मेरे मन प्रीति लगा प्रभु जी के चरणों में”

व्याखान माला में रामप्रताप सिंह बैंस,अवधेश प्रताप सिंह बैंस,विजय सिंह निरंजन एडवोकेट प्रबंधक एम एस डी डिग्री कालेज पाली,डॉक्टर दिनेश शर्मा प्राचार्य अलीगढ़, अनिल नरौला,चंद्रकांता आर्या,डॉक्टर वेद प्रकाश शर्मा बरेली, सुरेश गौतम अमेरिका सहित सम्पूर्ण विश्व से आर्यजन जुड़ रहें हैं।
संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने जताया।

दया आर्या हरियाणा ने भजन “जहान में जो घड़ा गया हैं आखिर इक दिन वह चूर होगा”

प्रवीण गुप्ता भिलाई ने भजन “रचा है श्रेष्ठी को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्ठि चला रहे हैं”

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