महरौनी (ललितपुर) महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरोनी के तत्वाधान में वैदिक धर्म के सही मर्म को युवा पीढ़ी से परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा पिछले एक वर्ष से प्रतिदिन व्याखान माला के क्रम में “निर्भय कैसे हों” विषय पर वैदिक विद्वान आचार्य शिवदत्त पांडेय गुरुकुल सुलतानपुर ने कहा कि हमें भय क्यों लगता हैं ? तथा निर्भय कैसे हों ?, जब हम कोई गलती करते हैं अर्थात चोरी,निंदा,अथवा व्यभिचार और अल्प सामर्थ्य होते हैं तब भय लगता हैं।में चोरी आदि निंदनीय कर्म न करू फिर भी भयग्रस्त रहता हूं।बच्चा जब माता पिता की गोद में होता हैं तब वह निर्भय रहता हैं जबकि वह अल्प सामर्थ्य बाला हैं लेकिन जब हम माता पिता को छोड़ देते हैं उनकी सेवा करने से बचते हैं तब वह खाते हैं। ऐसे ही हम उस पिताओं के पिता राजाओं के राजा,परमात्मा को भूल जाते हैं तब भय होना निश्चित हैं। महाराज भरतहरि कहते हैं “भोगे रोग भयम” भोग करेंगे तो रोग का भय होगा,ऊंचे कुल में जन्म लेंगे तो ऊंच नीच का डर रहेगा,धन इकठ्ठा करेंगे तो सरकारी छापा पड़ने का भय इत्यादि । संसार में जीवों के लिए सभी वस्तुएं भयकारी हैं। भय से खाली केवल विरक्त होना हैं। आपकी गति संसार की तरफ हैं तो भय लगेगा,भगवान की तरफ हैं तो निर्भय रहेंगे। करणीय कर्म करेंगे भय नही लगेगा,अकरणीय कर्म करेंगे तो भय लेंगेगा। ईश्वर का सब काम जीवों को उनके कर्मानुसार फल देना हैं।उसका काम सब जीवों को ज्ञानी बनाना हैं। तो आप ज्ञानी बनकर उसका काम करें।वह पवित्र हैं तो आप पवित्र होकर उसका कार्य करें।ईश्वर ने श्रृष्टि रचकर पेड़ पौंधे,हवा पानी,दिया हैं तो इन्हे शुद्ध पवित्र सुरक्षित रखें,आप भय रहित होंगें। ईमानदारी,सत्यता,पवित्रता,बनाएं तो भय मुक्त होंगे। भय से बचने के लिए परमात्मा की शरण में जायें । ईश्वर की प्रार्थना संसार के लिए करेंगे भय मुक्त नही होंगे,ईश्वर की प्रार्थना ईश्वर प्राप्ति के लिए करेंगे तो निर्भय रहेंगे।
वेदांशी आर्या श्रीमद दयानंद सरस्वती कन्या गुरुकुल चोटीपुरा ने भजन “पवित्र मन रखो,पवित्र तन रखो,पवित्रता ही जिंदगी की शान हैं,जो मन वचन व कर्म से पवित्र हैं वो चरित्रवान ही यही महान हैं”
अदिति आर्या भजन ने “हे ज्ञान रूप भगवन,हमको भी ज्ञान दो”
उर्मिला आर्या कानपुर ने भजन “ये महकती बगिया,ये मस्त नजारे,प्रभु का पता दे रहे है सभी”
दया आर्या हरियाणा ने भजन “योगी आया था वेदों बाला,किया था उजाला,दुनिया में सच्चे ज्ञान का,वो तो देवता था सारे ही जहां का”
प्रवीण गुप्ता भिलाई ने भजन “मुझे दास बनाकर रख लेना,भगवान तू अपने चरणों में,में भला बुरा हूं तेरा,तेरे द्वार पे डाला डेरा हूं”
ईश्वर देवी ने भजन “परमात्मा न पाया, जन्म पाया तो क्या हुआ,
व्याखान माला में विजय सिंह एडवोकेट,बृजेंद्र नापित शिक्षक,सुमन लता सेन शिक्षिका,आराधना सिंह सिक्षिका,रामावतार लोधी प्रबंधक दरौनी, चंद्रकांया आर्या, डॉक्टर वेद प्रकाश शर्मा बरेली,अनिल नरौला,प्रेम सचदेवा,अशोक नापित शिक्षक टीकमगढ़,श्रीराम सेन जबलपुर,मुरारी लाल सेन जयपुर,सुरेश गौतम अमेरिका सहित सम्पूर्ण विश्व से आर्यजन जुड़ रहें हैं।
संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रस्थ ने जताया